Gulzar Shayari in Hindi: नमस्ते मेरे प्यारे दोस्तों, आज हम आपके लिए एक बहुत ही विशेष शायरी का संग्रह लाए हैं, जिसे Best Gulzar Shayari कहा जाता है। गुलज़ार साहब द्वारा लिखी गई शायरी की दुनिया को खोजें। उनकी हर कविता अपने तरीके से खूबसूरत है और यह भावनाओं का स्पष्ट परिचायक है। उनकी कविता जीवन के अनुभवों का स्पष्ट चित्र है जो निश्चित रूप से आपके दिल को छू लेगा। हमारे साथ चलें, केवल गुलज़ार साहब द्वारा विकसित कविता की अद्भुत यात्रा में।
Gulzar Sahab has won over millions of hearts with his emotional poems and songs. His poetry is not limited to a single language but is also available in many languages such as Punjabi and Hindi. He has beautifully expressed the feelings of a human life’s experience. Even if you are not in love or not heartbroken, you will surely get the feeling of this emotion. You can find Images with Gulzar Shayari written on it. You are allowed to share our images with your social media platforms.
Today, we are presenting you with a very special collection. This Shayari collection is for a very special person who needs no introduction. Everyone already everything about him. This awesome personality is Gulzar Sahab. He is known as a famous writer for his awesome poetry. Whether it is about his songs, ghazals, stories or poems. Whatever he writes, it just directly touches to the heart. You can find many shayari of Gulzar Sahab below.
Gulzar Shayari
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर,
आदत इस की भी आदमी सी है
पूरे की ख्वाहिश में ये इंसान बहुत कुछ खोता है,
भूल जाता है कि आधा चांद भी खूबसूरत होता है।
दिल अब पहले सा मासूम नहीं रहा,
पत्त्थर तो नहीं बना पर अब मोम भी नहीं रहा।
दर्द की भी अपनी एक अदा है,
वो भी सहने वालों पर फ़िदा है।
टूट जाना चाहता हूं, बिखर जाना चाहता हूं,मैं फिर से निखर जाना चाहता हूं
मानता हूं मुश्किल है,लेकिन मैं गुलज़ार होना चाहता हूं।
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी, जब अपनों से उम्मीदें कम हो गईं।
वक़्त रहता नहीं कहीं टिक कर, आदत इस की भी आदमी सी है
ज़िंदगी यूँ हुई बसर तन्हा, क़ाफ़िला साथ और सफ़र तन्हा
मैं हर रात सारी ख्वाहिशों को खुद से पहले सुला देता, हूँ मगर रोज़ सुबह ये मुझसे पहले जाग जाती है
आइना देख कर तसल्ली हुई, हम को इस घर में जानता है कोई
आप के बाद हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है।
हम ने अक्सर तुम्हारी राहों में, रुक कर अपना ही इंतिज़ार किया।
बहुत अंदर तक जला देती हैं, वो शिकायते जो बया नहीं होती।
मैंने दबी आवाज़ में पूछा? मुहब्बत करने लगी हो? नज़रें झुका कर वो बोली! बहुत
कोई पुछ रहा हैं मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत, मुझे याद आ रहा है तेरा हल्के से मुस्कुराना।
2 Line Gulzar Shayari
क्या पता कब कहां मारेगी,
बस मैं जिंदगी से डरता हूं,
मौत का क्या है एक बार मारेगी।
एहतियातन बुझा-सा रहता हूं,
जलता रहता तो खाक हो जाता।
कुछ भी कायम नहीं है, कुछ भी नहीं,
और जो कायम है, बस एक मैं हूं,
मैं जो पल-पल बदलता रहता हूं।
जिंदगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा ही रह गया,
हम सीख न पाए फरेब और दिल बच्चा ही रह गया।
लगता है आज जिंदगी कुछ खफा है,
चलिए छोड़िए कौन सी पहली दफा है।
Gulzar Shayari in Hindi
एक तमन्ना थी कि जिंदगी रंग-बिरंगी हो,
और दस्तूर देखिए,
जितने भी मिले गिरगिट ही मिले।
थोड़ा सुकून भी ढूंढिए जनाब,
ये जरूरत तो कभी खत्म नहीं होंगी।
यहां हर किसी को दरारों में झांकने की आदत है,
दरवाजे खोल दो कोई पूछने भी नहीं आएगा।
इस दौर के लोगों में वफा ढूंढ रहे हो,
बड़े नादान हो साहब,
जहर की शीशी में दवा ढूंढ रहे हो।
बचपन में भरी दोपहरी में, नाप आते थे पूरा मोहल्ला,
जब से डिग्रियां समझ में आईं, पांव जलने लगे।
Heart Touching Gulzar Shayari
कुछ पल की ख़ुशी देकर,
ज़िन्दगी रुलाती क्यों है,,
जो लकीरों में नहीं होते
चारासाज़ों का है शुक्रिया,
तजुर्बा-ए-इश्क़ ठीक नहीं,
दिल लगाना तो अच्छा है,
दिल दुखाना ठीक नहीं।
बचपन का शोर सुकून देता था,
आज की ख़ामोशी खाने को दौड़ती है।
गुज़रा वक़्त याद करके रोना नहीं तुम,
गुज़रा इसलिए के वक़्त अच्छा आने वाला है
कभी जुगनू कभी सपनो सा लगता है,
वो एक ना जाने कितनो सा लगता है,
अंधों को भी उसमे एक रौशनी दिखती है,
गैरों को भी वो अपनों सा लगता है
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Gulzar ki Shayari..
एक ख्वाब ने आँखें खोली है,
क्या मोड़ आया है कहानी में,
वो भीग रही है बारिश में,
और आग लगी है पानी में.
कब तक होश संभाले कोई,
होश उड़े तो उड़ जाने दो,
दिल कब सीधी राह चला है,
राह मुड़े तो मुड़ जाने दो.
ये मर्ज़ मोहब्बत का बड़ा मीठा है,
इस मर्ज़ का हम इलाज़ क्यों करें,
तुम हमारे हो काफी है ये,
फिर इश्क़ की हम तलाश क्यों करें.
खुदा कुछ गुनाहों की माफ़ी नहीं देता,
हमने आज खुद को गुनहगार कर दिया,
पुरानी गलतियां भूलने की कोशिश थी,
नए इश्क़ ने और बर्बाद कर दिया.
कंगन के निशान गए नहीं अभी,
हाथों से जिन्हें छुपा रही हो,
मेरे बिना तो एक पल गवारा ना था,
आज अकेले कहाँ जा रही हो.
Gulzar Shayari on Love
इस क़दर वादे का अंदाज़ हसीं होता है, कि तिरे झूठ पे भी सच का
एक ही शख़्स होता है कायनात में, राह-ए-इश़्क में काफिला नहीं होता!
कभी याद आए तो पूछना अपनी सूनी-सूनी शाम से, किसे इश्क़ था तेरी बात से
एक बार ही बहकती है नज़र इश्क़ सौ बार नहीं होता, मासूम दिल का सौद
एक वादा है किसी का जो पूरा होता नहीं, वर्ना इन तारों भरी रातों में
Life Gulzar Shayari
हमारी इश़्क की दुनिया में भी क्या खूब होता है, “वो” का मतलब यहाँ सिर्फ
खुद से ज़्यादा खुद का कोई हमसफ़र नहीं होता, दूसरों के लिये जीये सब में
उतरा था चाँद मेरे आँगन में यह सितारों को गवारा न था, मैं तो सितारों
हमसफ़र होता कोई तो बाँट लेते दूरियाँ, राह चलते लोग क्या समझें मेरी मजबूरियाँ!
अगर प्रेम पवित्र हो और प्रेमी समझदार हो तो, माथे का स्पर्श होठों से ज्यादा
Gulzar Shayari on Life
कभी तो चौक के देखे कोई हमारी तरफ़,
किसी की आँखों में हमको भी को इंतजार दिखे।
तेरे जाने से तो कुछ बदला नहीं,
रात भी आयी और चाँद भी था, मगर नींद नहीं।
अच्छी किताबें और अच्छे लोग, तुरंत समझ में नहीं आते,
उन्हें पढना पड़ता हैं।
शायर बनना बहुत आसान हैं,
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए।
ये इश्क़ मोहब्बत की रिवायत भी अजीब है
पाया नहीं है जिसको उसे खोना भी नहीं चाहते
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Chand Shayari Gulzar
वो रातें चांद के साथ गईं वो बातें चांद के साथ गईं
अब सुख के सपने क्या देखें जब दुख का सूरज सर पर हो
उस के चेहरे की चमक के सामने सादा लगा
आसमां पे चांद पूरा था मगर आधा लगा
कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तिरा
कुछ ने कहा ये चांद है कुछ ने कहा चेहरा तिरा
गम के मारों का है सहारा चांद
कितना अच्छा है कितना प्यारा चांद
चांद तारे उदास रहते हैं
तेरे प्यारे उदास रहते हैं
Gulzar Barish Shayari
घटा देख कर ख़ुश हुईं लड़कियाँ
छतों पर खिले फूल बरसात के
आसमाँ ऐसा भी क्या ख़तरा था दिल की आग से
इतनी बारिश एक शोले को बुझाने के लिए
तमाम रात नहाया था शहर बारिश में
वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे
मैं चुप कराता हूँ हर शब उमड़ती बारिश को
मगर ये रोज़ गई बात छेड़ देती है
गर कभी रोना ही पड़ जाए तो इतना रोना
आ के बरसात तिरे सामने तौबा कर ले
Gulzar Sad Shayari
बहुत कहा था तुमसे मुझे अपना मत बनाओ
अब अपना बना ही लिया है तो तमाशा मत बनाओ
जब सोचते हैं करले दोबारा मोहब्बत
फिर पहली मोहब्बत का अंजाम याद आता है
हम अपनी रूह तेरे जिस्म में छोड़ आये
तुझे गले से लगाना तो एक बहाना था।
हर एक जज़्बात हो जुबान नहीं मिलती
हर एक आरजू को दुआ नहीं मिलती।
सब्र करो जिसके तुम काबिल हो
ज़िंदगी वो हर चीज तुम्हे देगी।
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Gulzar Sahab Shayari
दर्द तब होता है जब तुम्हे किसी से मोहब्बत हो
और उसके दिल में कोई और हो।
मुस्कान बनाये रखो तो दुनिया है साथ
बरना आंशुओ को तो आँखों में भी पनाह नहीं मिलती।
कभी कभी इरादा सिर्फ दोस्ती का होता है
और पता ही नहीं चलता कब प्यार हो गया।
किसी ने मुझसे कहा तुम बहुत अच्छे हो।
मैंने भी उससे कहा बस यही तो खराबी है
बुरा वक़्त तो गुज़र ही जायेगा
बस वही लोग नहीं गुज़रते
जिनकी वजह से वो बुरा वक़्त आया है
Gulzar Shayari Love
तू कितनी भी खुबसुरत क्यूँ ना हो ए ज़िंदगी
खुशमिजाज़ दोस्तों के बगैर तु अच्छी नहीं लगती..!!
तुमसे मिली जो जिंदगी, हमने अभी बोई नहीं..!
तेरे सिवा कोई न था, तेरे सिवा कोई नहीं..!!
ये तुमने ठीक कहा है, तुम्हें मिला ना करू
मगर मुझे ये बता दो कि क्यों उदास हो तुम?
तेरे-करम-तो-हैं इतने कि याद हैं अब तक,
तेरे सितम हैं कुछ इतने कि हमको याद नहीं
शायर बनना बहुत आसान हैं…!
बस एक अधूरी मोहब्बत की मुकम्मल डिग्री चाहिए…!!
Zindagi Gulzar Hai Shayari
कोई पूछ रहा हे मुझसे मेरी जिंदगी की कीमत…
मुझे याद आ रहा हैं तेरे हल्के से मुस्कुराना…
मेरे-तेरे इश्क़ की छाँव मे, जल-जलकर! काला ना पड़ जाऊ कहीं !
तू मुझे हुस्न की धुप का एक टुकड़ा दे…!
चाँद रातों के ख्वाब
उम्र भर की नींद मांगते हैं ॥
बहोत अंदर तक जला देती है,
वो शिकायते जो बया नहीं होती
इक उर्म हुई मैं तो हंसी भूल चुका हूँ,
तुम अब भी मेरे दिल को दुखाना नही भूले ।
Gulzar Romantic Shayari
पसंद तो ये दुनियाँ भी नहीं आती कभी कभार…
पर उस एक पल के लिए हम मर तो नहीं सकते
बहुत कम लोग बादलों के सफ़र से ज़िंदा लौट पाते हैं…
क्या तुम्हें लगता है तुम यहीं रहनें वाले हो हमेशा के लिए
ख़रीद लिए जाते हैं शहर में आज़कल सब कुछ…
गांवों में अब भी कुछ चीजें बिकाउं नहीं हैं
कुछ अलग है उसके शहर की बातें…
हमारा उस शहर में अब मन ही नहीं लगता
एक हम भी उनमें शामिल हैं कोई अलग थोड़ी हैं
अपनीं बात साबित करनें में नज़रों से जो उतरनें लगते हैं
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