Best Motivational Poem in Hindi

Top Motivational Poem in Hindi: नमस्ते दोस्तों, यदि आप Motivational Poems in Hindi ढूंढ रहे हैं, तो आपकी खोज यहाँ समाप्त होती है। इस पोस्ट में आपको कई कविताएँ मिलेंगी जो निश्चित रूप से आपको जीवन जीने के लिए प्रेरित करेंगी। ये कविताएँ विशेष रूप से युवाओं के लिए लिखी गई हैं। इसमें आपको Inspirational Thoughts, Motiovational Poetry और बहुत कुछ मिलेगा। इस पोस्ट को अपने दोस्तों और परिवार के साथ साझा करें।

Motivational poems fill our hearts with enthusiasm and encouragement. In this blog, we are presenting you Motivational Poems in Hindi by great writers that will surely inspire you during the times of despair. These poems will bring you joy and guide you towards the success. These poems will bring positive change to our thinking and behavior and driving us to act towards our goals and boosting our confidence. Let’s explore these poems in Hindi below.

In life, there are times when everything seems difficult and that time does not pass easily. It only leaves us with despair. If you or someone close to you is going through such a phase, you can help them or even yourself feel better though Motivational Shayari in Hindi. We hope that you will enjoy these poems and do not forget it to share with your friends and family.

 

best motivational poem in hindi

Motivational Poem in Hindi

   जो बीत गई सो बात गई!
जीवन में एक सितारा था
माना, वह बेहद प्यारा था,
वह डूब गया तो डूब गया;
अंबर के आनन को देखो,
कितने इसके तारे टूटे,
कितने इसके प्यारे छूटे,
जो छूट गए फिर कहाँ मिले;
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अंबर शोक मनाता है!
जो बीत गई सो बात गई!

जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ जो
मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है;
जो बीत गई सो बात गई!

जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन-मन दे डाला था,
वह टूट गया तो टूट गया;
मदिरालय का आँगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं,
जो गिरते हैं कब उठते हैं;
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है!
जो बीत गई सो बात गई!   

जीवन में वह था एक कुसुम,
थे उस पर नित्य निछावर तुम,
वह सूख गया तो सूख गया;
मधुवन की छाती को देखो,
सूखीं कितनी इसकी कलियाँ,
मुरझाईं कितनी वल्लरियाँ जो
मुरझाईं फिर कहाँ खिलीं;
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है;
जो बीत गई सो बात गई!

जीवन में मधु का प्याला था,
तुमने तन-मन दे डाला था,
वह टूट गया तो टूट गया;
मदिरालय का आँगन देखो,
कितने प्याले हिल जाते हैं,
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं,
जो गिरते हैं कब उठते हैं;
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है!
जो बीत गई सो बात गई!    " style="margin-left: 20px;">Copy

   दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
हो जाय न पथ में रात कहीं,
मंज़िल भी तो है दूर नहीं
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
बच्चे प्रत्याशा में होंगे,
नीड़ों से झाँक रहे होंगॆ
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!  
    लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती…
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती…
नन्ही चींटीं जब दाना लेकर चढ़ती है…
चढ़ती दीवारों पर सौ बार फ़िसलती है…
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है…
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना, ना अखरता है…
मेहनत उसकी बेकार हर बार नहीं होती…
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती…
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है…
जा जा कर ख़ाली हाथ लौटकर आता है..
मिलते ना सहज ही मोती गहरे पानी में…
बढ़ता दूना विश्वास इसी हैरानी में…
मुट्ठी उसकी ख़ाली हर बार नहीं होती…
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती…
असफलता एक चुनौती है… स्वीकार करो…
क्या कमी रह गयी, देखो और सुधार करो…
जब तक ना सफल हो नींद-चैन को त्यागो तुम…
संघर्षों का मैदान छोड़ मत भागो तुम…
कुछ किये बिना ही जयजयकार नहीं होती…
हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती…   
      विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी¸|
मरो परन्तु यों मरो कि याद जो करे सभी।
हुई न यों सु–मृत्यु तो वृथा मरे¸ वृथा जिये¸
मरा नहीं वहीं कि जो जिया न आपके लिए।
यही पशु–प्रवृत्ति है कि आप आप ही चरे¸
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।

उसी उदार की कथा सरस्वती बखानवी¸
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखण्ड आत्मभाव जो असीम विश्व में भरे¸
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिये मरे।।

अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े¸
समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े–बड़े।
परस्परावलम्ब से उठो तथा बढ़ो सभी¸
अभी अमर्त्य–अंक में अपंक हो चढ़ो सभी।
रहो न यों कि एक से न काम और का सरे¸
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।। 

उसी उदार की कथा सरस्वती बखानवी¸
उसी उदार से धरा कृतार्थ भाव मानती।
उसी उदार की सदा सजीव कीर्ति कूजती;
तथा उसी उदार को समस्त सृष्टि पूजती।
अखण्ड आत्मभाव जो असीम विश्व में भरे¸
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिये मरे।।

अनंत अंतरिक्ष में अनंत देव हैं खड़े¸
समक्ष ही स्वबाहु जो बढ़ा रहे बड़े–बड़े।
परस्परावलम्ब से उठो तथा बढ़ो सभी¸
अभी अमर्त्य–अंक में अपंक हो चढ़ो सभी।
रहो न यों कि एक से न काम और का सरे¸
वही मनुष्य है कि जो मनुष्य के लिए मरे।।  " style="margin-left: 20px;">Copy

      किसी जन ने किसी से क्लेश पाया
नबी के पास वह अभियोग लाया।
मुझे आज्ञा मिले प्रतिशोध लूँ मैं।
नहीं निःशक्त वा निर्बोध हूँ मैं।
उन्होंने शांत कर उसको कहा यो
स्वजन मेरे न आतुर हो अहा यों।
चले भी तो कहाँ तुम वैर लेने
स्वयं भी घात पाकर घात देने
क्षमा कर दो उसे मैं तो कहूंगा
तुम्हारे शील का साक्षी रहूंगा
दिखावो बंधु क्रम-विक्रम नया तुम
यहाँ देकर वहाँ पाओ दया तुम। 

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Motivational Poems in Hindi for Students

   कोशिश कर हल निकलेगा, आज नही तो, कल निकलेगा।

अर्जुन सा लक्ष्य रख, निशाना लगा, मरुस्थल से भी फिर, जल निकलेगा।

मेहनत कर, पौधों को पानी दे, बंजर में भी फिर, फल निकलेगा।

ताक़त जुटा, हिम्मत को आग दे, फौलाद का भी, बल निकलेगा।

सीने में उम्मीदों को जिंदा रख, समन्दर से भी फिर गंगाजल निकलेगा।

कोशिशें जारी रख, कुछ कर गुज़रने की, जो कुछ थमा-थमा है, चल निकलेगा।    

    तुझे खुद ही लड़ना होगा ,
मायूसी को दूर कर,
मुश्किलों का सामना करना होगा ,
संघर्ष पथ पर, दृढ़ता से चलना होगा |
तुझे खुद ही लड़ना होगा |
यूँ हार जाने से, न तू कुछ पाएगा ,
न तू, अपनी किस्मत, बदल पाएगा |
सोकर तू समय काट सकता है ,पर न तू अपना बिगड़ा समय बदल
पायेगा,
अगर संघर्ष के समय आराम करेगा, तो आगे कष्ट-पीड़ा सहना होगा |
समझदार तू ,अपने पथ पर चल दृढ़ता से,
हौसला नहीं छोड़, खुद पर रख भरोसा |
तुझे खुद ही लड़ना होगा ,
खुदा को साथ रख, आगे बढ़ना होगा ,
तूझे हर कमजोरी को, शक्ति में बदलना होगा    
   कोशिश कर हल निकलेगा, आज नही तो, कल निकलेगा।

अर्जुन सा लक्ष्य रख, निशाना लगा, मरुस्थल से भी फिर, जल निकलेगा।

मेहनत कर, पौधों को पानी दे, बंजर में भी फिर, फल निकलेगा।

ताक़त जुटा, हिम्मत को आग दे, फौलाद का भी, बल निकलेगा।

सीने में उम्मीदों को जिंदा रख, समन्दर से भी फिर गंगाजल निकलेगा।

कोशिशें जारी रख, कुछ कर गुज़रने की, जो कुछ थमा-थमा है, चल निकलेगा।    

   नींद चैन का त्याग कर, आंख खोलनी पड़ती है, मेहनत करना आसान नहीं, पूरी जान झोंकनी पड़ती है।

दिन- रात को एक बनाकर, मेहनत से सफलता मिलती है, माली के खून पसीने से ही बाग में कलि खिलती है।

जिस मेहनत को करने से तू आज थर-थर कांपता है, इसी मेहनत और तपस्या में सफलता का रास्ता है।

इस दृढ़ता, इस पागलपन को आदत तुझे बनाना होगा, छू सकता है तू हर मंजिल, खुद को याद तुझे ही दिलाना होगा।

हार जीत की सोच रखे बिन, मेहनत तुझे अब करनी है, लोगो की क्यों बात सुने, जब जंग तुझे खुद लड़नी है।

कोशिश तेरी काया, और मेहनत तेरी परछाई है, लोगों की इन बातों से नहीं, खुद से तेरी लड़ाई है।

कठिन राह है कांटों वाली, किंतु मंजिल में फूल मिलेंगे, परिश्रम तेरा कठिन है किन्तु, परिणाम तेरे अनुकूल मिलेंगे।

परिश्रम की गर्मी में, खुद को तुझे तपाना होगा, छू सकता है तू हर मंजिल ; खुद को याद दिलाना होगा।    

   बस तू ही है इस दुनिया में तुझ सा है कोई और कहाँ, अग़र हो न भरोसा बात में, तो तू भी यहाँ और मैं भी यहाँ ।

क्या हुआ नही या हो न सका, ऐसा कुछ ढूंढ के तो लाए।

ख़ुद पर हो विश्वास अगर, एक पल क्या… वक़्त बदल जाए।

सब कुछ तो करना आसां है, रोके क्यों कोई आज भला।  

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Best Motivational Poem in Hindi

 है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके आदमी के मग में?
ख़म ठोंक ठेलता है जब नर
पर्वत के जाते पाव उखड़,
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।

गुन बड़े एक से एक प्रखर,
हैं छिपे मानवों के भितर,
मेंहदी में जैसी लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो,
बत्ती जो नहीं जलाता है,
रोशनी नहीं वह पाता है।    

 तेरा मेरा करते एक दिन चले जाना है,
जो भी कमाया यही रह जाना है !

कर ले कुछ अच्छे कर्म,
साथ यही तेरे जाना है !
रोने से तो आंसू भी पराये हो जाते हैं,

लेकिन मुस्कुराने से…
पराये भी अपने हो जाते हैं !
मुझे वो रिश्ते पसंद है,
जिनमें ” मैं ” नहीं ” हम ” हो !!

इंसानियत दिल में होती है, हैसियत में नही,
उपरवाला कर्म देखता है, वसीयत नही..

करने दो अभी इनको और गलतियां
थोड़े न समझ, थोड़े नादान ही तो हैं
क्यों पछियों की तरह हम नही उड़ते    

 सिर्फ इतनी बात से परेशान ही तो हैं
भरने दो नन्ही हथेली में पूरा आसमाँ
सिर्फ मुश्किलों से अनजान ही तो हैं

बड़े हो खुद से खुद को छिपाने लगेंगे
कोई शैतान न,ये भी इंसान ही तो हैं
कर दे तू इनकी सारी गलतियां माफ़
बच्चों के रूप में ये भगवान ही तो है।

मैंने कल एक झलक जिंदगी को देखा,
वो मेरी राह में गुनगुना रही थी …

मैं ढूंढ़ रहा था उसे इधर उधर,
वो ऑंख मिचोली कर मुस्कुरा रही थी …
एक अरसे के बाद आया मुझे करार,
वो थपकी दे मुझे सुला रही थी …    

 हम दोनों क्यों ख़फा हैं एक दुसरे से,
मैं उसे और वो मुझे बता रही थी …

मैंने पुछा तूने मुझे इतना दर्द क्यों दिया ?
उसने कहाँ मैं जिंदगी हू …
“तुजे जीना सीखा रही थी”

अगर किसी परिस्थिति के लिए आपके पास
सही शब्द नहीं है तो सिर्फ मुस्कुरा दीजिये,
शब्द उलझा सकते है पर
मुस्कुराहट हमेशा काम कर जाती है ।      

     क्या खोजते हो दुनिया में,

जब सब कुछ तेरे अन्दर है।
क्यों देखते हो औरों में,
जब तेरा मन ही दर्पण है।

दुनिया बस एक दौड़ नहीं,
तू भी अश्व नहीं है धावक।
रुक कर खुद से बातें करले,
अन्तर मन को शान्त तो करले।

सपनों की गहराई समझो,
अपने अन्दर की अच्छाई समझो।
स्वाध्याय की आदत डालो,
जीवन को तुम खुलकर जीलो।

आलस्य तुम्हारा दुश्मन है तो,
पुरुशार्थ को अपना दोस्त बनालो।
जीवन का ये रहस्य समझलो,
और खुशीयों से तुम नाता जोड़ो। 

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Short Motivational Poem in Hindi

   जीवन में दुख भी आने हैं,

और आके एक दिन जाना है।
जब समय चक्र बदल जाये,
पल में सब काम बिगड़ जाये।
धोका अपनों से मिल जाये,
हर ओर संकट के बादल छा जाये।

तब बन्द करो तुम आँखों को,
कुछ पल खुद में खो जाओ।
शक्ति बजरंग बली से है तुम में,
उस शक्ति का तुम ध्यान करो।

श्रीराम को भी वनवास हुआ,
पर धैर्य को संग में साधा था।
फिर समय का पहिया घूमेगा,
लक्ष्यों पर केन्द्रित ध्यान करो
और बाणों का संधान करो।
बुरे समय से जो कुछ सीखा है,
उन बातों का सम्मान करो।

तुम उठो वीर स्वाभीमानी से,
तुम चढो सफलता की सीढी।
अडिग रहे जो तुम विपरीत काल में,
अब उसके फल का स्वाद चखो।
हर युग में नायक बनते हैं,
इस युग के तुम नायक हो।
समय चक्र तो चलता है,
तुम हर समय का सम्मान करो।    

   कर्मपथ पर तुमको बढना है वीरों जैसा,

राह में मुश्किल आनी है,
धीरज हो मुनियों जैसा।
ठोकर लगनी निश्चित है,
तुम तब भी अडिग रहो पर्वत जैसे।
चाहे शेर जैसा प्रतिद्वन्दी हो,
तुम निडर रहो योद्धा जैसे।

पुरूषार्थ को तुम साधलो,
दिन हो या रात हो,
चाहे ना कोई साथ हो,
तब भी नदी से तुम अविरल बहो।

संकल्प की मजबूत एक डोर हो,
जिससे तुम बन्धे रहो।
ज्ञान को तुम सहेज लो,
उग्र तुम बनो नहीं।

कर्म योनी में जन्म लिया,
कर्म योगी बने रहो।
लक्ष्य पर बने रहो,
लक्ष्य भेदते रहो।    

     सपनों  का एक सागर है,

सागर में गहराई है,
कोई ना इसको नाप है पाया।

तेरे सपने तेरी मंजिल,
तुझको ही तय करनी है।
छोर मिलेगा उसको ही,
जिसने हिम्मत करली है।
तूफान यहाँ हैं पग-पग पर,
निराशा के हैं ज्वार बहुत।
तेरे सपने, तेरी हिम्मत है,
बदलेगा ये दुनिया तू।

आज निकलजा अन्धियारे में,
कल का सूरज तेरा है।
सपनों के इस सागर में,
सपनों का एक जाल भी है।
ध्यान रहे तू अर्जन है,
एक लक्ष्य ही तेरा सब कुछ है।
लहरों से टकराना  है,
उनसे भी ऊपर उठ जाना है।
कल जो आने वाला है,
उसको अपना बनाना है।  

   वक्त है बदल जायेगा,

कल का सूरज नया जोश लायेगा।
हालतो से लड़ रहे हो भले,
कल यह दिन भी बदल जायेगा।

जिंदगी यूँही रंग बदलती रहेगी,
आज का बनाया, कल खो जायेगा।
जो मन में रहेगी आशा,
तो हर पल मुस्करायेगा।

जो खोया था कल में,
वह भी खोज लायेगा,
जुड़ने, बिखरनें से फिर तू ना घबरायेगा,
सफलता-असफलता सभी को अपनायेगा.

आगे हे बढना, बढते ही जाना,
राहो की ठोकर से कभी न घबराना।
धूप और छाव आते जाते रहेगें,
संकल्प पथ से तनिक ना भटकना।
संकल्प पथ से तनिक ना भटकना।।  

   अपने सपनों को पूरा करु
या समझौता कर लूँ हालातों से

गिर कर भी उठ खड़ा हो जाऊँ
या अपने जख्मो और दर्द में कहीं गुम हो जाऊँ

जिंदगी के इन थपेड़ों से निखर जाऊँ
या सही वक़्त की आस में इंतज़ार करता रहूँ

अपने सपनों को पूरा करु
या समझौता कर लूँ हालातों से  

Self Motivation Poem Hindi

   लक्ष्य साध अपने जीवन का
अविरल आगे ही बढ़ना है,
जीवंत कर स्वप्नों को तुम्हें
इतिहास नया इक गढ़ना है।

व्यर्थ न सोचो, जीवन से
दुःख के बादल कब जाएंगे,
सतत परिश्रम से जीवन में
धन वैभव सब आएंगे।  

   बदलाव नियम है प्रकृति का
पाठ यही अब पढ़ना है,
जीवंत कर स्वप्नों को तुम्हें
इतिहास नया इक गढ़ना है।

है कष्ट उसी के जीवन में
सुख के समय जो सोता है,
अपनी कमियाँ हैं मानव की
दुर्भाग्य कहाँ कुछ होता है।    

 कर्मों के बाल से ही तुमको
अब भाग्य नियंत्रित करना है,
जीवंत कर स्वप्नों को तुम्हें
इतिहास नया इक गढ़ना है।

मार्ग नहीं होते हैं सुगम
बहुधा आती है बाधाएं,
हर अड़चन मिट जाती है
यदि वीर कहीं पर डट जाएं।    

 मुकुट कहाँ करते हैं निर्णय
किसके मस्तक पर चढ़ना है,
जीवंत कर स्वप्नों को तुम्हें
इतिहास नया इक गढ़ना है।

पर्वत से निकले जलधारा
सरिता रूप तभी पाती है,
स्वयं बनाकर राह नई
जा सागर में समाती है।    

Life Struggle Inspirational Poems in Hindi

   गति प्रबल जोड़ों में भारी

फिर क्यों रहूं डर डर खड़ा

जब आज मेरे सामने, है रास्ता इतना पैदा

जब तक ना मंजिल पा सकूँ

तब तक ना मुझे विराम है

चलना हमारा काम है  

   कुछ कह लिया, कुछ सुन लिया

कुछ बोझ अपना बांट लिया

अच्छा हुआ तुम मिल गयी, कुछ रास्ता ही कट गया

क्या राह में परिचय कहूं

राही हमारा नाम है

चलना हमारा काम है    

   जीवन अपरिहार्य हो गया

पाता कभी खोटा कभी

आशा निराशा से घिरा

हंसता कभी, रोता कभी

गति-मति न हो अवरूद्ध

इसका ध्यान अधों यम है

चलना हमारा काम है    

 क्या विषाद विद्ध-प्रहार में है

किसको नहीं बहना पड़ा

सुख-दुख हमारी ही तरह

किसको नहीं सहना पड़ा

फिर व्यर्थ क्यूं कहता फिरूं

मुझ पर विधाता वाम है

चलना हमारा काम है    

   मैं पूर्णता की खोज में

डर-डर भटकता ही रहा

प्रतीक पग पर कुछ ना कुछ

रोडा अटका ही रहा

निराशा क्यों मुझे, जीवन इसी का नाम है

चलना हमारा काम है  

Success Motivational Poems in Hindi for Students

  ऐ ज़िंदगी (कविता का शीर्षक)
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
कम ज़रा ये रश्क करले ।
शिकायतें हैं जो,
कभी तो बयां करदे ।
हारी हुई शामों में,
साथ एक पल का तो दे- दे
कभी तो गले से लगाले ।
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
कम ज़रा ये रश्क करले
उलझने मन की,
कभी तो सुन ले ।
कब तक अनजान रहेगी तू ,
कभी तो अपना पता बता दे ,
खिजा से कभी तो बहार लादे ,
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ,
ऐ ज़िंदगी कभी तो इश्क़ करले ।     
        सफ़र पर निकल पड़ो मन में संकल्प लेकर
चाहे अमावस की रात हो या पूनम का चांद
चाहे आये तुफान या तनी हों बन्दूकें
ना डरना है ना गिरना है ना भागना है
डरना क्यों आत्मविश्वास जब बलवान है
मुस्कुराके आगे बढ़ते रहो हिम्मत न हारो
असफलता एक चूनौती है, स्वीकार करो
नीद चैन को संघर्ष पथ पर, बलिहार करो
लगे रहो जब तक न सफलता साथ हो
हमेशा हर समय बस लक्ष्य की ही बात हो
  चलो आज एक कहानी और लिखी जाये
जिस पर दो-तीन बातें खुल कर बोली जायें
चाहे किसी को पसंद आये चाहे न आये
मेरा तो काम है कि हम बस यूं ही लिखते जायें
कई लोग हमें हर बार बस सौ-सौ ताने सुनायें
मगर ये कलम भी किसी से कुछ कम नहीं
ये हमारा हर परिस्थिति में खूब साथ निभाए
ये कलम कहीं अकेली न रह जाये इसलिए,
दिल और दिमाग ने भी खूब पेंच लड़ाए
ये सोच भी कहीं हमारी पीछे न रह जाये
इसलिए हम अब इसे बाहर की और ले आये
छोटे- छोटे से शब्द में हम यूं डूबते जायें
अब इस कहानी के समंदर में लहरें भी मौज उड़ाएँ
कहानियों में हम इस तरह घूमते जायें
ये वक्त कब गुज़रे पता भी न चल पाये
कब दिन चढ़ जाये और रात ढल जाये     
 मैंने जीवन को हमेशा किनारे से देखा है,
बस इसे अपने पास से गुजरते हुए देख रहा हूँ।
अतीत में, जाने देने और जीने से बहुत डर लगता था,
और हाल ही में प्रयास करने में बहुत थक गया हूँ।

मुझे अपने आस-पास के लोगों से ईर्ष्या होती है
इसलिए हर दिन जीने में निवेश किया,
जबकि मैंने अपना समय दुनिया से छिपकर बिताया
और बचने के रास्ते खोज रहे हैं.

अपने जीवन के अधिकांश समय में मैंने सचमुच विश्वास किया
मैं यहाँ किसी और की मदद करने आया था,
लेकिन अब यह स्पष्ट हो गया है कि यह सिर्फ एक बहाना था।
अपने लिए जीवन जीने से बचना।

यह दुखद है कि हमारा जीवन और हम जो दर्द सहते हैं
आगे बढ़ने की हमारी ताकत कमजोर हो सकती है,
लेकिन अगर हम अपने अतीत के दागों में खो जाते हैं,
बिना जाने हमारी जान चली जाएगी.      

   ऐसा कहा जाता है कि समुद्र में प्रवेश करने से पहले
एक नदी भय से कांप उठती है।

वह उस रास्ते को देखती है जिस पर उसने यात्रा की है,
पर्वतों की चोटियों से,
जंगलों और गांवों को पार करती हुई लंबी घुमावदार सड़क।

और उसके सामने,
वह एक महासागर को इतना विशाल देखती है,
कि प्रवेश करना है
हमेशा के लिए गायब हो जाने के अलावा और कुछ नहीं लगता।

लेकिन कोई दूसरा रास्ता नहीं है.
नदी वापस नहीं जा सकती.

कोई भी वापस नहीं जा सकता.
अस्तित्व में वापस जाना असंभव है।

नदी को जोखिम उठाने की जरूरत है
समुद्र में प्रवेश करने का
क्योंकि तभी डर मिटेगा,
क्योंकि वहीं से नदी को पता चलेगा
यह समुद्र में गायब हो जाने के बारे में नहीं है,
लेकिन सागर बनने का.